ग्राम पंचायतों के लिए प्रशासक नियुक्ति किया: 6759 ग्राम पंचायतों के मौजूदा सरपंचों को प्रशासक नियुक्त कर दिया गया है, जिनका कार्यकाल जनवरी 2025 तक समाप्त हो रहा है। इसके साथ ही, हर ग्राम पंचायत स्तर पर प्रशासनिक समितियों का गठन किया जाएगा, जिसमें उप सरपंच और वार्ड पंच सदस्य के रूप में शामिल होंगे। यह निर्णय पंचायती राज विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के तहत लिया गया है।
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राजस्थान सरकार ने राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 (अधिनियम संख्या 13) की धारा-95 के तहत एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। यह निर्णय उन ग्राम पंचायतों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है, जिनका कार्यकाल 31 जनवरी 2025 तक समाप्त हो रहा है, लेकिन अपरिहार्य कारणों से उनके चुनाव अभी तक नहीं हो पाए हैं।
ग्राम पंचायतों के मौजूदा सरपंचों को प्रशासक नियुक्ति किया जाएगा
राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है कि ऐसी ग्राम पंचायतों में निवर्तमान सरपंच को प्रशासक नियुक्त किया जाएगा। साथ ही, ग्राम पंचायत के कार्यकलापों के सुचारू संचालन के लिए प्रशासकीय समिति का गठन भी किया जाएगा। इस समिति में वे लोग शामिल होंगे जो ग्राम पंचायत का कार्यकाल समाप्त होने से पहले उप सरपंच और वार्ड पंच के रूप में कार्यरत थे।

प्रशासक द्वारा पंचायत के कार्य संचालन के लिए राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 और राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996 के प्रावधानों का पालन किया जाएगा।
प्रशासक और प्रशासकीय समिति के कार्यक्षेत्र
- निवर्तमान सरपंच प्रशासक के रूप में नियुक्त होंगे।
- प्रशासक द्वारा ग्राम पंचायत के सभी कार्य संचालित किए जाएंगे।
- पंचायत के बैंक खातों और वित्तीय शक्तियों का संचालन प्रशासक और ग्राम विकास अधिकारी द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा।
- समिति में निवर्तमान उप सरपंच और वार्ड पंच सदस्य के रूप में शामिल होंगे।
- पंचायत के महत्वपूर्ण निर्णय प्रशासक और समिति की बैठक में परामर्श के बाद लिए जाएंगे।
प्रशासक और प्रशासकीय समिति की कार्यावधि
प्रशासक और प्रशासकीय समिति का कार्यकाल तब तक रहेगा जब तक कि नवनिर्वाचित ग्राम पंचायत की प्रथम बैठक आयोजित नहीं होती। इस दौरान सभी निर्णय पंचायत अधिनियम और नियमों के अनुसार लिए जाएंगे।
राज्य सरकार द्वारा जिला कलेक्टर्स को दिए गए अधिकार
राजस्थान सरकार ने इस प्रक्रिया को लागू करने के लिए सभी जिला कलेक्टर्स को अधिकार प्रदान किए हैं। कलेक्टर्स को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने जिलों की संबंधित ग्राम पंचायतों में प्रशासक नियुक्त करें और प्रशासकीय समितियों का गठन सुनिश्चित करें। यह कदम ग्राम पंचायतों के सुचारू संचालन को बनाए रखने और प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस निर्णय का महत्व
- ग्राम पंचायतों का कार्य संचालन:
पंचायत के कार्य रुकने की स्थिति में प्रशासनिक कार्यों को बनाए रखना आवश्यक है। यह निर्णय इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है। - स्थानीय प्रशासन में निरंतरता:
प्रशासक और प्रशासकीय समिति के माध्यम से पंचायत के विकास कार्य और योजनाएं बाधित नहीं होंगी। - लोकतांत्रिक प्रक्रिया का संरक्षण:
यह निर्णय सुनिश्चित करता है कि चुनाव प्रक्रिया में देरी होने के बावजूद प्रशासनिक कार्य सुचारू रूप से चलते रहें।
निवर्तमान सरपंच और पंचायत विकास अधिकारी की जिम्मेदारियां
प्रशासक (निवर्तमान सरपंच) और ग्राम विकास अधिकारी संयुक्त रूप से पंचायत के बैंक खातों का संचालन करेंगे। वित्तीय निर्णय और योजनाओं का क्रियान्वयन समिति की सलाह पर होगा, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
सरकार ने “वन स्टेट, वन इलेक्शन” की अवधारणा को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है ताकि पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकें। इससे चुनाव प्रक्रिया के अंतराल को कम करने में मदद मिलेगी। इससे पहले, चुनावों के टलने पर ग्राम सचिवों को प्रशासक नियुक्त किया जाता था, लेकिन इस बार सरपंचों को यह जिम्मेदारी देकर उनका समर्थन हासिल करने की कोशिश की गई है।

मै पिछले 5 सालों से ब्लॉगिंग कर रही हूँ , मैं कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स हूँ और मेरा मकसद जटिल जानकारी को आसान भाषा में समझाना है , ताकि हर कोई उसे आसानी से समझ सके। खास तौर पर सरकारी योजनाओं, सरकारी नौकरी पर लिखती हु ,जिससे लोगों को मदद मिल सके।