राजस्थान सरकार की आरजीएचएस योजना का लाभ लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को मिलता है। यह योजना उन्हें इलाज, दवा और जांच की सुविधा मुफ्त या कैशलेस तरीके से देती है। लेकिन हाल ही में योजना में गड़बड़ी और अनियमितताओं के कई मामले सामने आए हैं। कुछ निजी अस्पतालों, डायग्नोस्टिक सेंटर्स और फॉर्मा स्टोर्स ने आरजीएचएस योजना का दुरुपयोग किया था इस कारण सरकार ने उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं।
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शासन सचिव वित्त (व्यय) श्री नवीन जैन ने बताया कि कुछ संस्थानों ने गलत दावों के जरिए ज्यादा पैसे वसूले गए अब दोषी पाए जाने पर अस्पतालों का डिएम्पेनलमेंट कर दिया गया है। यानी अब वे आरजीएचएस योजना के तहत इलाज नहीं कर सकेंगे। इसके साथ ही गलत दावों पर पेनल्टी और ब्याज सहित रकम की वसूली की जा रही है।
एआई जांच होगी आरजीएचएस योजना में
सरकार अब आरजीएचएस योजना में पारदर्शिता और सख्ती लाने के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा ले रही है। अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई तकनीक की मदद से हर क्लेम का गहन विश्लेषण किया जा रहा है। इससे यह पता लगाया जा रहा है कि इलाज सही तरीके से हुआ या नहीं, और कोई फर्जीवाड़ा तो नहीं किया गया।
इसके अलावा विशेषज्ञों की टीम भी इन क्लेम्स की जांच कर रही है। इसी के चलते कई अस्पताल, डायग्नोस्टिक सेंटर और फार्मेसी स्टोर्स सरकार की निगरानी में आ गए हैं। हालांकि शासन सचिव ने यह स्पष्ट किया कि जिन अस्पतालों या स्टोर्स पर कोई शक नहीं है, उन्हें योजना के तहत सभी सुविधाएं मिलती रहेंगी।
अगर किसी लाभार्थी को दिक्कत आती है, तो वह 181 हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके या पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकता है।
अब बायोमेट्रिक से होगी पहचान
राज्य सरकार आरजीएचएस योजना में जल्द ही एक नया सिस्टम लाने जा रही है। अब केंद्र सरकार की मंजूरी मिलने के बाद योजना में आयुष्मान भारत योजना की तरह बायोमेट्रिक सिस्टम लागू किया जाएगा। इसका मतलब है कि अब इलाज के लिए ओटीपी के साथ फिंगरप्रिंट या आधार आधारित पहचान भी जरूरी होगी। इससे किसी और के नाम पर इलाज करवाने की संभावना खत्म हो जाएगी।
आईपीडी और ओपीडी इलाज में पहले ही फोटो लेना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे काफी हद तक पारदर्शिता आई है और गलत दावे कम हुए हैं।
लाभार्थी भी रहें सतर्क
श्री जैन ने कहा कि योजना भले ही कैशलेस है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि लाभार्थी लापरवाह हो जाएं। हर लाभार्थी को सजग और सतर्क रहना चाहिए। अगर कोई निजी अस्पताल या फार्मेसी स्टोर ओटीपी मांगता है, तो लाभार्थी को पक्का करना चाहिए कि वह व्यक्ति अधिकृत है या नहीं।
अगर किसी ने गलत तरीके से इलाज या दवा के लिए ओटीपी का उपयोग किया है, तो तुरंत उसकी शिकायत करनी चाहिए। कई बार देखा गया है कि बिना वजह मरीजों को भर्ती कर लिया जाता है, बेवजह महंगी दवाएं और जांच लिखी जाती हैं, यहां तक कि बिना ज़रूरत के ऑपरेशन भी कर दिए जाते हैं। इस तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए हर लाभार्थी को सजग रहना जरूरी है।
दवा विक्रेताओं को भी बरतनी होगी सावधानी
आरजीएचएस योजना के तहत दवा देने वाले फार्मासिस्ट और मेडिकल स्टोर भी अब अधिक सतर्क रहेंगे। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि ओपीडी पर्ची पर लाभार्थी का नाम, डॉक्टर का नाम, हस्ताक्षर और आरएमसी नंबर सही से लिखा हो। अगर कोई स्लिप संदिग्ध लगे तो पहले जांच करें। इससे फर्जी पर्ची पर दवा देने से बचा जा सकता है।
सरकार ने पहले ही मार्च और अप्रैल में एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सभी निजी अस्पतालों और सरकारी स्वास्थ्य अधिकारियों को योजना के दुरुपयोग और उससे बचाव के उपायों पर विस्तार से जानकारी दी थी।
राज्य सरकार की मंशा साफ है कि योजना का फायदा सही व्यक्ति तक पहुंचे और किसी भी स्तर पर गड़बड़ी न हो। इसके लिए अब हर स्तर पर पारदर्शिता और निगरानी बढ़ाई जा रही है।