राजस्थान में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ-साथ अब बच्चों के स्वास्थ्य पर भी खास ध्यान दिया जा रहा है। खासकर उनकी आंखों की रोशनी को लेकर एक सराहनीय पहल की गई है। जुलाई महीने में राज्य के सभी राजकीय विद्यालयों में नेत्र परीक्षण शिविर लगाए जाएंगे, जिससे हजारों बच्चों और बाल वाहिनियों के चालकों (स्कूल वैन/बस ड्राइवरों) को सीधा फायदा मिलेगा।
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राजकीय स्कूलों में जुलाई से लगेगा नेत्र परीक्षण शिविर
बीकानेर स्थित माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में आयोजित एक अहम समीक्षा बैठक में यह फैसला लिया गया। इस बैठक की अध्यक्षता स्कूल शिक्षा विभाग के शासन सचिव श्री कृष्ण कुणाल ने की। इस बैठक में न सिर्फ विभागीय योजनाओं और नवाचारों पर चर्चा की गई, बल्कि आगामी शैक्षणिक सत्र की रूपरेखा पर भी विचार किया गया।
इसी बैठक में तय हुआ कि शाला स्वास्थ्य परीक्षण अभियान के तहत जुलाई माह में सभी सरकारी स्कूलों में आंखों की जांच के विशेष शिविर आयोजित किए जाएंगे।
विद्यार्थियों के साथ ड्राइवरों की भी जांच
इस अभियान की सबसे खास बात यह है कि इसमें स्कूल आने-जाने वाले वाहनों के ड्राइवरों की आंखों की भी जांच की जाएगी। यह एक बेहद संवेदनशील और जरूरी कदम है क्योंकि बच्चों की सुरक्षा सीधे-सीधे ड्राइवर की सजगता पर निर्भर करती है।
दृष्टि दोष होने पर ड्राइवरों और विद्यार्थियों – दोनों को मुफ्त चश्मे भी उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि उन्हें आगे की पढ़ाई या कार्य में कोई परेशानी न हो।
क्यों जरूरी है नेत्र परीक्षण?
- बच्चों को अगर स्पष्ट दिखाई नहीं देता तो वे पढ़ाई में पिछड़ सकते हैं।
- कई बार आंखों की समस्या बच्चों को पता ही नहीं होती, जिससे वे चुपचाप कष्ट झेलते रहते हैं।
- समय रहते पहचान होने पर समस्या का समाधान संभव है।
- ड्राइवरों की आंखों की जांच से सड़क सुरक्षा में सुधार होगा।
इस तरह की पहलें बताती हैं कि अब शिक्षा विभाग सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों के संपूर्ण विकास और सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है। मुफ्त नेत्र परीक्षण और चश्मों का वितरण निश्चित रूप से उन बच्चों और ड्राइवरों के लिए राहत लेकर आएगा जो अब तक इस सुविधा से वंचित थे।