राजस्थान ग्राम पंचायत पुनर्गठन: राजस्थान सरकार ने ग्रामीण प्रशासन को अधिक मजबूत और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू की है। इस पहल का मकसद न केवल विकास कार्यों को गति देना है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि सरकारी योजनाओं और सेवाओं का लाभ हर गांव और हर व्यक्ति तक सही समय पर पहुंचे।
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20 जनवरी 2025 से शुरू होकर चार महीने तक चलने वाली इस प्रक्रिया में जनसंख्या और क्षेत्र की जरूरतों के आधार पर पंचायतों का पुनर्गठन किया जाएगा, जिससे ग्रामीण विकास के नए आयाम स्थापित होंगे।राजस्थान सरकार ने ग्रामीण प्रशासन में सुधार के लिए ग्राम पंचायत और पंचायत समितियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह प्रक्रिया 20 जनवरी 2025 से शुरू होकर चार महीने तक चलेगी।

क्या हैं ग्राम पंचायत पुनर्गठन के नियम?
राजस्थान में पंचायतों और पंचायत समितियों का पुनर्गठन 2011 की जनगणना के आधार पर किया जा रहा है। इसके लिए सरकार ने कुछ प्रमुख मानदंड तय किए हैं:
- एक ग्राम पंचायत में न्यूनतम 3,000 और अधिकतम 5,500 लोगों की आबादी होनी चाहिए।
- अनुसूचित क्षेत्रों में आबादी का यह मानक 2,000 से 4,000 तक रखा गया है।
- एक पंचायत समिति में 25 ग्राम पंचायतों का होना अनिवार्य है।
- अगर किसी पंचायत समिति में 40 से ज्यादा ग्राम पंचायतें हैं, तो उसे पुनर्गठन के दायरे में लाया जाएगा।
- किसी भी राजस्व ग्राम को विभाजित कर दो अलग-अलग पंचायतों में शामिल नहीं किया जाएगा।
राजस्थान ग्राम पंचायत पुनर्गठन की समयसीमा
यह प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से की जाएगी:
- 20 जनवरी से 18 फरवरी 2025: नई ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के लिए प्रस्ताव तैयार होंगे।
- 20 फरवरी से 21 मार्च 2025: इन प्रस्तावों को सार्वजनिक किया जाएगा, ताकि ग्रामीण अपनी आपत्तियां दर्ज कर सकें।
- 23 मार्च से 1 अप्रैल 2025: दर्ज की गई आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा।
- 3 अप्रैल से 15 अप्रैल 2025: अंतिम प्रस्ताव तैयार कर राज्य के पंचायतीराज विभाग को भेजा जाएगा।
क्या होगा इस बदलाव का असर?
पुनर्गठन के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासनिक कार्य सुगम हो जाएंगे। नई पंचायतें बनने से विकास योजनाओं का क्रियान्वयन तेजी से होगा और सरकारी सुविधाएं ग्रामीणों तक आसानी से पहुंचेंगी। हालांकि, इस प्रक्रिया में राजनीतिक दबाव और ग्रामीणों की आपत्तियां भी बड़ी चुनौती बन सकती हैं।
राज्य के कई गांवों ने नई पंचायतों के गठन की मांग की है, उनका मानना है कि अगर इनके आस-पास की आबादी को मिलाकर नई पंचायत बनाई जाए, तो उनकी समस्याएं हल हो सकती हैं।