हरियाणा सरकार ने पारंपरिक कुम्हार समुदाय को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण योजना शुरू की है। इस योजना के जरिए कुम्हारों को 5 एकड़ जमीन, आधुनिक औजार और आर्थिक सहायता दी जाएगी। यह कदम न सिर्फ पारंपरिक मिट्टी कला को बढ़ावा देगा, बल्कि गांवों में रोजगार के नए रास्ते भी खोलेगा।
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योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
सरकार चाहती है कि मिट्टी से बनने वाले पारंपरिक उत्पाद जैसे दीये, गुल्लक और हांडी अब आधुनिक रूप में सामने आएं। इन उत्पादों को सजावटी और उपयोगी चीजों की तरह बाजार में बेचा जा सके, जिससे कुम्हारों की आमदनी बढ़े। साथ ही, सरकार का मकसद है कि यह काम महिलाओं और युवाओं के लिए भी रोजगार का जरिया बने।
- योजना में क्या-क्या सुविधाएं मिलेंगी?
- इस योजना के तहत सरकार की ओर से कुम्हारों को कई तरह की मदद दी जाएगी:
- हर गांव में 5 एकड़ जमीन दी जाएगी
- आधुनिक सोलर और इलेक्ट्रिक चाक मिलेंगे
- MSME स्कीम के तहत ₹15,000 की टूल किट मुफ्त दी जाएगी
- ₹2 लाख तक का आसान लोन और ₹1 लाख का अतिरिक्त अनुदान
- ₹50 लाख तक के लोन पर 25% से 35% तक सब्सिडी
- मिट्टी की गुणवत्ता की जांच और उपयुक्त मिट्टी की व्यवस्था
अब तक क्या प्रोग्रेस है इस योजना की?
सरकार ने इस योजना को लागू करने के लिए पहले ही कुछ अहम कदम उठाए हैं। पहले चरण में 700 से ज्यादा कुम्हारों की पहचान की जा चुकी है और 76 लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन भी करा लिया है। झज्जर में बंद पड़ा प्रशिक्षण केंद्र दोबारा शुरू किया जाएगा, ताकि कुम्हारों को नई तकनीक की जानकारी दी जा सके।
योजना में रजिस्ट्रेशन कैसे करें?
योजना में भाग लेने के लिए इच्छुक कुम्हारों को ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर पंजीकरण करना होगा। जल्द ही यह लिंक सभी BDPO कार्यालयों और खादी ग्रामोद्योग केंद्रों पर उपलब्ध होगा। रजिस्ट्रेशन के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज़ भी जमा करने होंगे, जैसे कि आधार कार्ड, पासपोर्ट साइज फोटो, बैंक खाता विवरण, आय प्रमाण पत्र (अगर सब्सिडी चाहिए) और जाति प्रमाण पत्र (अगर आरक्षित श्रेणी में हैं)।