राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा मुख्यमंत्री आयुष्मान बाल संबल योजना को राजस्थन में लागु किया जा रहा है मुख्यमंत्री आयुष्मान बाल संबल योजना राजस्थान के अंतर्गत 18 साल से कम आयु के बच्चो जिनको किसी प्रकार की दुर्लभ भीमारी हुई है उनके लिए मुख्यमंत्री आयुष्मान बाल संबल योजना राजस्थान को सुरु किया गया है
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मुख्यमंत्री आयुष्मान बाल संबल योजना राजस्थान
मुख्यमंत्री आयुष्मान बाल संबल योजना राजस्थान के अंतर्गत 56 तरह की दुर्लभ बीमारियों का इलाज राजस्थान सरकार द्वारा किया जायेगा, इनमे जन्मजात हाइपर इंसुलिनेमिक हाइपोग्लाइसिमिया, लारोन सिंड्रोम, यूरिया चक्र विकार, पॉम्पे रोग, फैनकोनी एनीमिया और टर्नन सिंड्रोम एवं अन्य कई प्रकार की दुर्लभ बीमारियां शामिल हैं।
योजना का नाम | मुख्यमंत्री आयुष्मान बाल संबल योजना राजस्थान |
लाभार्थी | 18 वर्ष से कम उम्र के दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बच्चे |
लाभ | ₹50 लाख तक इलाज + ₹5000 प्रतिमाह सहायता |
बीमारियों की संख्या | कुल 56 दुर्लभ बीमारियाँ शामिल |
जांच/इलाज स्थल | AIIMS जोधपुर / जे.के. लोन अस्पताल जयपुर |
आवेदन | ई-मित्र केंद्र या SSO ID के माध्यम से |
प्रमाण पत्र जारी करने वाला | अधिकृत चिकित्सा अधिकारी द्वारा ऑनलाइन |
सालाना सत्यापन | नवंबर-दिसंबर में अनिवार्य (ई-मित्र/ब्लॉक ऑफिस से) |
दस्तावेज़ | आधार कार्ड, जनाधार कार्ड, मूलनिवास, डॉक्टर की पर्ची, रिपोर्ट, बैंक पासबुक, मोबाइल नंबर, SSO ID |
मुख्यमंत्री आयुष्मान बाल संबल योजना में 50 लाख रुपए तक का इलाज करवाया जायेगा और साथ ही दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बालक/ बालिकाओ को 5000 रुपए हर महीने दिए जायेगे , योजना में मिलने वाले 50 लाख रुपए को के अतिरिक्त
राजस्थान मुख्यमंत्री आयुष्मान बाल संबल योजना की पात्रता
- सबसे पहली बात ये है कि बच्चे की उम्र 18 साल से कम होनी चाहिए। ये योजना खासतौर पर छोटे बच्चों के लिए बनाई गई है, ताकि उन्हें वक्त रहते इलाज मिल सके।
- इस मदद के लिए जरूरी है कि बच्चा राजस्थान का रहने वाला हो। अगर वो पिछले तीन साल से राज्य में रह रहा है, तो भी वो इस योजना का हिस्सा बन सकता है।
- बच्चे को दुर्लभ बीमारी है या नहीं, ये बात सरकारी डॉक्टर ही तय करेंगे। जब डॉक्टर इसकी पुष्टि कर देंगे, तभी मदद मिलती है।
- खास बात ये है कि इस योजना के साथ-साथ बच्चा भारत सरकार या राजस्थान सरकार की दूसरी योजनाओं का फायदा भी ले सकता है।
- अगर किसी दिन बच्चा पूरी तरह ठीक हो जाता है , तो आर्थिक सहायता पर रोक दी जाएगी।
आयुष्मान बाल संबल योजना के दस्तावेज
आयुष्मान बाल संबल योजना राजस्थान का लाभ लेने के लिए निम्न डॉक्यूमेंट होने जरुरी है –
- जनाधार कार्ड
- आधार कार्ड
- मुलनिवास प्रमाण पत्र
- डॉक्टर की पर्ची
- जाँच रिपोर्ट
- बैंक पासबुक
- SSO ID
- मोबाइल नंबर
मुख्यमंत्री आयुष्मान बाल संबल योजना राजस्थान आवेदन कैसे करे और इलाज का पूरा प्रोसेस
मुख्यमंत्री आयुष्मान बाल संबल योजना राजस्थान में आवेदन ई मित्र द्वरा या अपनी sso id द्वारा किया जा सकता है।
आवेदन करने के बाद आपका फॉर्म आपके जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) के पास चला जाता है, CMHO आवेदन के जाँच करने उसे निर्धारित एम्स, जोधपुर या जे.के. लोन अस्पताल, जयपुर में आवेदन को भेज देते है।
अब एम्स, जोधपुर या जे.के. लोन अस्पताल, जयपुर में बच्चे को जाँच के लिए बुलाया जाता है और जांच करके बीमारी की पुष्टि की जाती है इसके लिए आपके मोबाइल पर मेसेज द्वारा सूचित किया जाता है कि आपको कब जाना है।
अगर बच्चा तय तारीख को नहीं पहुंचता, तो तीन बार (7वें, 15वें और 25वें दिन) SMS भेजकर याद दिलाया जाता है। इसके बाद भी अगर बच्चा अस्पताल नहीं लाया गया, तो आवेदन अस्थाई रूप से रद्द कर दिया जाता है। हालांकि अगर बाद में अभिभावक निवेदन करता है, तो डॉक्टरों की टीम उस आवेदन को दोबारा देख सकती है।
अगर जाँच में ये साबित हो जाता है कि बच्चे को सच में दुर्लभ बीमारी है, तो डॉक्टरों द्वारा एक ऑनलाइन प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। इसी आधार पर आर्थिक सहायता की स्वीकृति हो जाएगी। लेकिन अगर बीमारी की पुष्टि नहीं होती, तो डॉक्टर साफ कारण बताते हुए आवेदन को रद्द कर सकते हैं। कुछ मामलों में अगर डॉक्टर को और जांच रिपोर्ट की ज़रूरत होती है, तो वो आवेदन को एक महीने तक होल्ड पर रख सकते हैं।
अगर एक ही आवेदन को तीन बार से ज़्यादा बार जिले के स्तर पर रद्द किया गया हो, और उसके बाद फिर से आवेदन किया जाए, तो वह आवेदन सीधे डॉक्टरों के पास भेजा जाएगा ताकि ज़्यादा देरी न हो।
योजना में हर साल सत्यापन जरुरी
मुख्यमंत्री आयुष्मान बाल संबल योजना राजस्थान के तहत हर साल नवंबर-दिसंबर के महीने में वार्षिक सत्यापन करवाना जरुरी है जैसे पेंशन के लिए करवाया जाता है ये काम ई-मित्र, ब्लॉक या जिला कार्यालय से करवाया जा सकता है।
अगर किसी पालनकर्ता ने पहले से ही सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लिए बायोमेट्रिक या OTP वेरिफिकेशन करवा लिया है और इसकी जानकारी पोर्टल पर आ गई है, तो उन्हें दोबारा से यह वेरिफिकेशन करवाने की जरूरत नहीं होगी।
अगर बच्चे ने पिछले 3 महीनों में एम्स जोधपुर या जे.के. लॉन जयपुर अस्पताल में ओपीडी या आईपीडी सेवा ली है, और डॉक्टर ने पोर्टल पर उसकी रिपोर्ट या दवा की जानकारी डाल दी है, तो उसे भी दोबारा से OTP या बायोमेट्रिक करवाने की जरूरत नहीं होगी।
गर तय समय में ये सालाना सत्यापन नहीं होता, तो अगले साल जनवरी से मिलने वाली आर्थिक सहायता रोक दी जाएगी। बाद में जब सत्यापन हो जाएगा, तो वो रुकी हुई राशि भी वापस दी जाएगी।
जैसे ही डॉक्टर ये प्रमाणित कर देते हैं कि बच्चे को दुर्लभ बीमारी है, पोर्टल से अपने-आप प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति जारी हो जाती है, जिससे पैसा जल्दी मिल सके।

मै पिछले 5 सालों से ब्लॉगिंग कर रही हूँ , मैं कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स हूँ और मेरा मकसद जटिल जानकारी को आसान भाषा में समझाना है , ताकि हर कोई उसे आसानी से समझ सके। खास तौर पर सरकारी योजनाओं, सरकारी नौकरी पर लिखती हु ,जिससे लोगों को मदद मिल सके।